मंगलवार, 8 फ़रवरी 2011

सचिन को भारत रत्न

आजकल, ये एक जबरदस्त मुद्दा बना हुआ है कि सचिन को भारत रत्न मिलना चाहिए/ बिलकुल सही बात है मेरे विचार में भी वो इसके हकदार हैं/ क्रिकेट इतिहास में वो ही एक मात्र ऐसे खिलाडी हैं जिन्होंने  २०० रन का जादूई आकड़ा छूआ है और भी न जाने कितने कीर्तिमान उनके नाम दर्ज हैं जिन्हें दोहराने कि आवशयकता नहीं है/ हालाँकि, वो ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं हैं, पर क्रिकेट के बारे में वो गहरी पेंठ रखते हैं/ क्रिकेट जगत में शायद ही कोई हो, जो उनकी प्रतिभा का कायल ना हुआ हो, सर डोन ब्रेडमेन भी उनमें से एक हैं/ पर जो बात उन्हें ब्रेडमेन से भी महान बनाती है, वो है, "१०० करोड़ लोगों कि उम्मीदों के दवाब को सफलतापूर्वक झेलना"/ आज कि परिस्थितियों में खेल जगत से यदि किसी को चुना जा सकता है, तो निस्संदेह! वो हैं "सचिन तेंदुलकर"
पर यदि भारत के, अबतक के खेल इतिहास पर नज़र डाली जाये तो आप पाएंगे १ और खिलाडी भी है जो इसका हकदार है/ वो हैं भारत को हॉकी में ३ बार ओलंपिक गोल्ड दिलाने वाले "मेजर ध्यान 'चंद' सिंह " (उर्फ़ 'दादा')/ यदि सचिन को "क्रिकेट का भगवान्" कहा जाता है तो उन्हें भी "हॉकी का जादूगर" कहते हैं/ एक और बात जो दोनों में समान है वो ये की ब्रेडमेन ने दोनों को खेलते देखा था और दोनों की ही तारीफ़ की थी/ १९३५ में, ब्रेडमेन ने 'दादा' का मैच देखने के बाद कहा " he scores goals like runs in Cricket". ये बात भी सही है वो हॉकी में गोलों का शतक  लगाने वाले एकमात्र खिलाडी हैं/ यदि सचिन ३७ साल में भी खेल रहे हैं तो उनका कैरियर भी काफी लम्बा था और ४२ साल की उम्र तक वो खेलते रहे जहाँ क्रिकेट से कहीं ज्यादा दम-ख़म की आवश्यकता होती है/ कहतें हैं, "जादू वही जो सर चढ़के बोले", कई बार उनकी हॉकी स्टिक तोड़कर देखी गयी क्योंकि जिस तरहा से गेंद उनकी हॉकी से चिपकती थी उससे उन्हें भ्रम हो जाता था कि उनकी स्टिक में चुम्बक है/ वो ये भी भूल गए कि चुम्बक सिर्फ लोहे को आकर्षित करती है और हॉकी की गेंद में लोहा नहीं होता, यही था "दादा" का जादू/
दोनों ही अपने फन के माहिर हैं किसी की भी उपलब्धियों को काम करके नहीं आँका जा सकता मेरी राय में तो यदि सचिन भारत रत्न पाने के हकदार हैं तो दादा को उनसे पहले मिलना चाहिए/

8 टिप्‍पणियां:

  1. आप की बातों से सहमत हूँ| धन्यवाद|

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  2. मेरी तरह कितनों को पता भी नहीं होगा कि मेजर साहब को 'भारत रत्न' नहीं मिला है ! स्वागत.

    सदाबहार देव आनंद

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  3. मैं आप सभी का धन्यवाद करता हूँ कि आपने मेरे विचार जाने के लियें समय निकाला और अपनी राय भी दी/ अभिषेक जी! आपने ठीक कहा ये वाकई बहुत लोगों को नहीं पता होगा, "मेजर ध्यानचंद " के योगदान के बारे में बहुत से लोग अनभिग्य हैं इसीलियें में ये विडियो भी डाल रहा हूँ शायद इससे लोग उनके बारे में कुछ और जान पाएं
    उम्मीद है कि आगे भी इसी तरह से आपका सहयोग और प्यार मिलता रहेगा
    जय श्री राम

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  4. मेरे हिसाब से खेल रत्न काफी है. दद्दा को भारत रत्न जरूर मिलाना चाहिए. सचिन ने क्रिकेट के अतिरिक्त कुछ नहीं किया. मै भी सचिन का प्रसंशक हूँ. सचिन को देख कर मैंने सही कवर ड्राईव सीखा. प्रकाश पादुकोण ने कभी कोल्ड ड्रिंक का विज्ञापन नहीं किया. उन्होंने बड़ी ही विनम्रता से कहा कि "कोल्ड ड्रिंक से सिवाय पाचन ख़राब होने के कुछ नहीं होता." परन्तु हमारे क्रिकेट भगवान कल तक पेप्सी बेचते थे अब coke को अच्छा कह रहे हैं. लेकिन साथ मे सचिन ने रक्तदान, पानी बचाने और पोलिओ की दवा पिलाने का विज्ञापन भी किया है.

    भई मैंने भी TVS Victor खरीदी थी सचिन के कारण
    इसलिए मै तो सचिन के लिए खेल रत्न की मांग करूँगा.

    क्षोभ इस बात का है कि "भांडों को भारत रत्न मिल रहा है". भांडों से मेरा मतलब फ़िल्मी हस्तियों से है.

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