बहुत busy था! सांस लेने की भी फुर्सत नहीं मिली!
अक्सर ये जुमले आपको सुनने को मिलेंगे। खासकर मध्यम वर्गीय परिवार के लोग इनका इस्तेमाल ज्यादा करते हैं। कारण ये है कि बड़े लोगों का काम तो वक्त पर ही होता है और निम्न स्तरीय लोगों के पास वक्त इतना है कि काटे नहीं कटता। है ना कमाल की बात, किसी के पास वक्त ही वक्त है और किसी को सांस लेने कि भी फुर्सत नहीं है। पर आश्चर्य कि बात ये है कि बड़े (सफल) लोगों को ये एक्स्ट्रा टाइम, देता कौन है? मैंने इस बारे में काफी सोचा और इस पहेली को सुलझाने कि कोशिश की। कहाँ तक सफल रहा हूँ ये तो अब आप लोग ही बता सकते हैं।
ये बात तो तय है कि सब के पास २४ घंटे ही होते हैं। पर जो बात किसी व्यक्ति को सफल बनाती है, वो है कार्य के वरीयता कर्म का निर्धारण, सर्वोच्च वरीयता वाले कार्य को हम लक्ष्य भी कहते हैं। इसी लक्ष्य को पाने का एक महत्वपूर्ण सूत्र है "समय प्रबंधन"। ये ही वो दो बातें हैं जो किसी भी व्यक्ति को सफल बना सकती हैं। आप खुद भी अपनी किसी सफलता के बारे में सोचेंगे तो यही पायेंगे की उस वक्त आपने इन्हीं दो नियमों का पालन किया था।
अक्सर ये जुमले आपको सुनने को मिलेंगे। खासकर मध्यम वर्गीय परिवार के लोग इनका इस्तेमाल ज्यादा करते हैं। कारण ये है कि बड़े लोगों का काम तो वक्त पर ही होता है और निम्न स्तरीय लोगों के पास वक्त इतना है कि काटे नहीं कटता। है ना कमाल की बात, किसी के पास वक्त ही वक्त है और किसी को सांस लेने कि भी फुर्सत नहीं है। पर आश्चर्य कि बात ये है कि बड़े (सफल) लोगों को ये एक्स्ट्रा टाइम, देता कौन है? मैंने इस बारे में काफी सोचा और इस पहेली को सुलझाने कि कोशिश की। कहाँ तक सफल रहा हूँ ये तो अब आप लोग ही बता सकते हैं।
ये बात तो तय है कि सब के पास २४ घंटे ही होते हैं। पर जो बात किसी व्यक्ति को सफल बनाती है, वो है कार्य के वरीयता कर्म का निर्धारण, सर्वोच्च वरीयता वाले कार्य को हम लक्ष्य भी कहते हैं। इसी लक्ष्य को पाने का एक महत्वपूर्ण सूत्र है "समय प्रबंधन"। ये ही वो दो बातें हैं जो किसी भी व्यक्ति को सफल बना सकती हैं। आप खुद भी अपनी किसी सफलता के बारे में सोचेंगे तो यही पायेंगे की उस वक्त आपने इन्हीं दो नियमों का पालन किया था।
सफलता = लक्ष्य निर्धारण + समय प्रबंधन
मुझे भी याद आ रहा है एक बार मैने भी इसी सूत्र का इस्तेमाल किया था। बात उन दिनों की है जब में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा, दिल्ली में काम करता था। इसके लिए मुझे रोज सुबह ५ बजे उठाना होता था ताकि ९.३० बजे तक कार्यालय पहुँच सकूं। शाम को घर पहुँचते-पहुँचते ९-९.३० बज जाते थे। सारा समय यात्रा में निकल जाता था (जिसमें लगभग ६ घंटे रेल में गुजरते थे) पढने के लियें समय नहीं मिल पाता था। मुझे तो विदेश जाना था और ये सब मेरे इस लक्ष्य प्राप्ति के लियें घातक था। अब मैं एक दैनिक यात्री था तो अपना एक ग्रुप बन गया था। बाकी लोगों के पास इस तरह का कोई लक्ष्य नहीं था तो उन्हें इस बात की कोई परवाह नहीं थी कि उनका कितना वक्त बर्बाद हो रहा है। एक ने हिसाब लगा के बताया कि वो २० साल से ट्रेन से सफ़र कर रहा है और ६ घंटे के हिसाब से इन २० सालों में ५ साल का समय तो उसने रेल में ही गुजारा है। इस बात ने तो मुझे और परेशान कर दिया। वहां (दिल्ली ) रह कर भी देखा बात नहीं बनी। रेल में नोट्स लेकर भी नहीं पढ़ सकता था। पर कहते हैं "आवश्यकता अविष्कार कि जननी है" मेरी इसी आवश्यकता ने मुझे एक युक्ति सुझाई कि क्यों न mp3 का इस्तमाल किया जाये तो सब काम बन जायेगा। बस फिर क्या था रोज कुछ नोट्स कि MP3 फ़ाइल बनाता और सफ़र के दौरान सुनता रहता। गजब का परिणाम आया जिन चीजो को याद करने में वक्त काफी वक्त लगता था वो एक गाने कि तरह आसानी से कंठस्थ होने लगीं। और उसी का परिणाम है कि आज मैं South Korea में हूँ। यदि आप भी इसी तरह कि समस्या से परेशान हैं तो आप भी इसी युक्ति का प्रयोग कर सकते हैं। विद्यार्थियों के लियें तो ये रामबाण साबित होगी इसी का प्रयोग कर मेरे एक जूनियर ने TOFEL व GRE पास किया और आज ताइवान से Ph.D. कर रहा है। कल, जब एक माँ अपनी बिटिया की १२ की परीक्षा के लियें चिंतित दिखीं तो मैंने सोचा क्यों न इसे सब के साथ बांटा जाये ताकि और भी इससे लाभान्वित हो सकें।
भाई मेरे हिसाब से तो सफलता की कुंजी यही है। कोई भी व्यक्ति कितना सफल हुआ है या होगा, ये निर्भर करता है, उसके लक्ष्य निर्धारण और सफल समय प्रबंधन पर। अपने भूतकाल में जाओगे तो पाओगे कि हम और बेहतर कर सकते थे और जहाँ पहुंचे हैं उससे कहीं बेहतर प्राप्त कर सकते थे। तो आज से ही ये कोशिश करो कि इन जुमलों का प्रयोग ना करना पड़े। और हो सके तो मेरे इस सूत्र और युक्ति को कम से कम अपने घर के विद्यार्थियों तक जरूर पहुंचाएं।
भाई मेरे हिसाब से तो सफलता की कुंजी यही है। कोई भी व्यक्ति कितना सफल हुआ है या होगा, ये निर्भर करता है, उसके लक्ष्य निर्धारण और सफल समय प्रबंधन पर। अपने भूतकाल में जाओगे तो पाओगे कि हम और बेहतर कर सकते थे और जहाँ पहुंचे हैं उससे कहीं बेहतर प्राप्त कर सकते थे। तो आज से ही ये कोशिश करो कि इन जुमलों का प्रयोग ना करना पड़े। और हो सके तो मेरे इस सूत्र और युक्ति को कम से कम अपने घर के विद्यार्थियों तक जरूर पहुंचाएं।